DATE: 2023-08-22
SCL TNS HI में कोई अदालत यह आदेश पारित कर सकते हैं कि इस नई DERTI: एक बार फिर उच्च न्यायालय से विरोध के तहत आया था....
न्याय के एक गवाह ने कहा कि गर्भपात की माँग को रोकने में देर करने और आदेश तोड़ने से देरी किए बिना, ज़ीक एच. सी..हम उच्च न्यायालय के आदेशों की क़दर नहीं करते, इसलिए अफसर ने कहा.क्या न्यायाधीश इस प्रकार एक उच्च न्यायालय आदेश के प्रति जवाब देते हैं?.इन तरह की कोशिशें उच्च न्यायालय न्यायाधीशों द्वारा किए जा रहे हैं जो कुछ भी हम ने कहा है.इसके आदेश को सही ठहराने के लिए किसी उच्च न्यायालय का कोई न्यायाधीश की ज़रूरत नहीं है, उस अफसर ने वरकंश हाई कोर्ट से पूछा.अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि किस तरह HC को एक ऐसे मामले में रोका जा सकता है जो पहले ही सोच रहा था, और वह भी पार्टी को ध्यान देने के बिना.भारत में कोई भी अदालत इस तरह के आदेश को नहीं दे सकती जैसे शनिवार एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था के खिलाफ.( तिरछे टाइप हमारे).( तिरछे टाइप हमारे).( तिरछे टाइप हमारे).उच्च न्यायालय की अनुमति देने के लिए कोई ज़रूरत नहीं थी, उस पर आरोप लगाया गया.सरकारी सरकार के लिए प्रकट किए गए जनरल टाइसहार्ट ने यह स्वीकार किया कि कुछ गलतफहमी थी न्यायाधीश द्वारा पारित कर दिया गया और अदालत से बिनती की कि उसके खिलाफ कोई भी नज़र न डालें.उस पुलिसवाले ने कहा कि यह न्यायाधीश के विरुद्ध नहीं जा रहा था लेकिन जिस तरीक़े से मामला किया गया है.कोई न्यायाधीश हमारे आदेश के लिए एक क्रम से आ सकता है.यह ऐसा प्रतीत होता है कि, उस परचे ने कहा.फिर अदालत ने उस निवेदनकर्ता की ताजा चिकित्सीय रिपोर्ट पर ध्यान दिया जिसने बन्दीगृह को आशीर्वाद दिया और उसे गर्भपात लेने का अनुमति दी.अपनी निवेदन स्वीकार करते हुए, महिला पर विशेष सुनवाई के दौरान एक खास सुनने में स्त्री की मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान हुआ है..इसने निर्देश दिया था कि जब गर्भ गिर रहा था तब चिकित्सा परीक्षा फिर से की जानी चाहिए २७ सप्ताह से ज़्यादा समय तक.( तिरछे टाइप हमारे).
Source: https://timesofindia.indiatimes.com/india/sc-slams-gujarat-hc-for-counterblast-order-says-no-court-in-india-can-pass-an-order-like-this/articleshow/102919761.cms